Blog Archive

ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा

आज A.C. बस से आ रहा था।
मेरे बाजू वाली सीट पर एक युवक और एक युवती बैठे थे।
दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी थे।
थोड़े समय बाद वे आपस में बातें करने लगे।

बातचीत उस मुकाम तक पहुँची जहाँ मोबाइल नंबर का आदान प्रदान होता है।
लड़के का मोबाइल किसी वजह से ऑफ था।
तो उसने अपनी जेब से एक कागज निकाला,
लेकिन लिखने के लिए उसके पास पेन नहीं था।
बाजू की सीट पर बैठे हुए मेरा सारा ध्यान उन्हीं दोनों की तरफ था।

मैं समझ गया कि लड़की का मोबाइल नंबर लिखने के लिए लड़के को पेन की जरूरत है।
उसने बड़ी आशा से मेरी तरफ देखा...
मैंने अपनी शर्ट के ऊपरी जेब में लगा अपना पेन निकाला
और.
चलती हुई बस से बाहर फेंक दिया।

और मन में मोदी जी के शब्द याद किये कि ..
ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा.😂😛😀😜😃😆😝😂😝😎😝😂
      
Loading...

No comments:

Post a Comment