उसने बताया-- मेरी जवानी की बात है ..मैं एक पार्टी मैं गया था, वहां अनजाने मैं मेरा पैर आगे खडी़ युवती के लटकते पल्लू पर पड़ गया। वो सांप की तरह फुफकार मारकर एकदम पल्टी और शेर की तरह दहाडी़-- ब्लडी हैल, अंधे हो क्या?
मैं हकलाकर माफी मांगने लगा..
फिर उसकी नजर मेरे चेहरे पर पडी़। वो बडे़ ही मधुर स्वर मैं बोली --
ओह माफ कीजिऐ , मैने समझा मेरे पति हैं।
जनाब उस दिन के बाद से आज तक मेरा शादी करने का हौसला न हुआ...
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