इधर पत्नी के मन में सदैव ये शंशय रहता कि अगर वो पहले पहल करे तो कही उसका पति कुछ और ही न समझ बैठे, क्योंकि उसके पास वो शब्द नहीं था जिसे सुनते ही पति इशारा समझ जाय।
आज जैसे ही वो ऑफिस से घर पहुंचा पूरा घर खुशबु से महक रहा था, और सामने खड़ी थी उसकी चांदी के तन वाली सुंदर सुसज्जित पत्नी। खाने की मेज पर जब उसके तन की खुशबू उसके नथुनों में पहुंची तो वो बेकरार हो कर पूछ बैठा "क्या बात है आज तो गजब ढा रही हो"? वो जिसे पहल करने के लिए कभी कोई शब्द नहीं सूझता था, आज मुस्कुराते हुए बोली "सुनो जी, आज मेरा "राशन कार्ड" बनाने का मन कर रहा है, बनाये क्या"?
उद्देलित और उत्साहित मन से उसने कांपते होंठो से बुदबुदाया, 'केजरीवाल की जय' 'संदीप कुमार की जय'।
'जय झाड़ू, जय चंदा' के उदघोष के साथ उसने अपनी पत्नी को बाहों में लिया और रासक्रीड़ा में व्यस्त हो गया और केजरीवाल सरकार की वजह से एक परिवार में खुशियां लौट आयी
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