उसने बहुत सोचा - “शहर में तो सब समझदार लोग होते हैं. अगर ये नोट यहाँ चलाने गया तो मैं पकड़ा जाऊंगा. हाँ अगर किसी दूर दराज़ के गाँव में गया तो शायद ये चल जाए .. “
ये सोच कर वो बहुत दूर बसे एक छोटे से गाँव में गया ..
उसने देखा की लोहार लोहे की धौकनी में काम कर रहा हैं ..
उसने लोहार से कहा - “अरे भाई ! मेरे एक नोट का छुट्टा करा दो .. “
ये कहके उसने पंद्रह रुपये का नोट आगे बढ़ा दिया …
लोहार ने अपना हाँथ पोंछा और नोट को पकड़ कर देखने लगा … साथ ही साथ उसने नोट छापने वाले को भी एक नज़र देखा ..
उस आदमी की तो हलक सुख गयी … उसे लगा “लगता है लोहार ने पकड़ लिया …”
लोहार बोला - “भाई जी ! मेरे पास पंद्रह रूपये शायद ना हो .. मैं चौदह रूपये दे सकता हूँ “
नोट छापने वाले ने सोचा - “अरे चलो मेरा क्या जाता है .. चौदह ही सही"
उसने लोहार से कहा - “अब पंद्रह मिलते तो अच्छा होता .. पर लाईये चौदह ही दें दें ..”
लोहार अन्दर गया और बाहर आकर उसको पैसे पकड़ा दिए …
उस आदमी ने गिनना चाहा तो देखा - दो सात रूपये के नोट हैं …
Moral. .दुनिया में एक आप ही अकलमंद नहीं है।
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