महंथ ने ठाकुरसाब को कहा कि आप भी ब्राह्मण धर्म स्वीकार कर लो, जिससे किसी को आपसे कोई
समस्या ना हो।
हमारे ठाकुरसाब मान गए। तो महंथ ने ठाकुरसाब पर
गंगा जल छिडकते हुए संस्कृत में कहा:
"तुम पैदा राजपूत हुए थे पर अब तुम ब्राह्मण हो "
अगले दिन फिर ठाकुरसाब के घर से चिकन की खुशबू आई तो सब पंडितो ने महंथ से उसकी फिर शिकायत की।
अब महंथ पंडितो को साथ लेकर ठाकुरसाब के घर मे गए तो देखा,
ठाकुरसाब चिकन पर गंगा जल छिडक रहे थे और कह रहे थे,
" तुम पैदा मुर्गे हुए थे पर अब तुम आलू हो "
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